उत्तराखंड

जैन मुनि डॉ. मणिभद्र का पतंजलि आगमन

 

जैन मुनि डॉ. मणिभद्र का पतंजलि आगमन

आचरण की पवित्रता तथा समाज सेवा ही जीवन का◊ प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए : जैन मुनि डॉ. मणिभद्र

पतंजलि मानव सेवा, समाज सेवा व राष्ट्र सेवा में संलग्न संस्थान : आचार्य बालकृष्ण

अपनी एषणाओं को नियंत्रित करके ही धर्म, अध्यात्म व ईश्वर मार्ग पर चला जा सकता है : जैन मुनि

हरिद्वार। राष्ट्र संत, नेपाल केसरी डॉ. मणिभद्र जी महाराज आज पतंजलि योगपीठ पहुँचे जहाँ पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने स्वयं मुख्य द्वार पर पहुँकर उनका भव्य स्वागत किया। इस अवसर पर जैन मुनि ने कहा कि आचरण की पवित्रता तथा समाज सेवा ही जीवन का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि रोगियों को आरोग्य प्रदान करना सबसे बड़ी सेवा है।
डॉ. मणिभद्र ने कहा कि स्वामी रामदेव जी महाराज व आचार्य बालकृष्ण जी महाराज के नेतृत्व में पतंजलि संस्थान ने स्वास्थगत सेवाएँ प्रदान कर देश व समाज के समक्ष समाज सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि जीवन में धर्म, अध्यात्म व ईश्वर के मार्ग पर चलने के लिए सर्वप्रथम अपने मन को नियंत्रित करना आवश्यक है जो अपनी एषणाओं को समाप्त करके ही संभव है।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने डॉ. मणिभद्र को पतंजलि की विविध सेवापरक गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। आचार्य जी ने कहा कि रोगी की चिकित्सा के लिए पतंजलि किसी पैथी का विरोधी नहीं, रोगी हित सर्वोपरि। पतंजलि का अभियान सेवा का पर्याय है चाहे वह मानव सेवा हो, समाज सेवा हो या राष्ट्र सेवा। आज पतंजलि शिक्षा, चिकित्सा, स्वदेशी, सूचना एवं तकनीकि, योग-आयुर्वेद अनुसंधान, कृषि अनुसंधान, गौ-संरक्षण व संवर्द्धन तथा उद्योग आदि क्षेत्रें में अपनी सेवाओं को विस्तार देने के साथ-साथ भारतीय मूल्यों, परम्पराओं व संस्कृति के उत्थान में भी महती भूमिका निभा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button