वीरगिरवाली में आरक्षित वन भूमि की खरीद फरोख्त और पेड़ काटने के संबंध में मुकदमा दर्ज कराने वाला नकली नत्थूराम आखिरकार 12 साल बाद मिल गया। पुलिस ने उसे गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है। करीब 90 वर्षीय नत्थूराम का अस्पताल में मेडिकल कराया गया और फिर जमानत दे दी गई। नत्थूराम एक गांव में अपने दूर के रिश्तेदार के यहां रह रहा था।
बता दें कि वर्ष 2012 में वीरगिरवाली में आरक्षित वन की नौ बीघा जमीन बेचे जाने का मामला सामने आया था। मामले में नत्थूराम निवासी देहरादून की शिकायत पर राजपुर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था, लेकिन पुलिस ने जब जांच शुरू की तो पता चल यह वह नत्थूराम नहीं है, जिसकी जमीन की बात हो रही है। यह जमीन तो उत्तर प्रदेश के जमाने में ही सरकार में निहित हो गई थी। मामले में तत्कालीन सीओ मसूरी ने जांच की तो पाया कि असली नत्थूराम की 1983 में मौत हो गई थी। इसकी तस्दीक दून में रहने वाले नत्थूराम के परिवार ने की थी। उन्होंने मृत्यु प्रमाणपत्र भी पुलिस को दिखाया था। उस वक्त इस पूरे मामले में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू की संलिप्तता का खुलासा भी हो चुका था, लेकिन बाद में पुलिस अधिकारी के दबाव में इस मुकदमे की जांच भी आगे नहीं बढ़ी।