दयारा बुग्याल में ग्रामीणों संग पर्यटकों ने खेली दूध-मक्खन की होली
उत्तरकाशी।
दयारा बुग्याल में प्रसिद् उत्सव (बटर फेस्टिवल) हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस लोक उत्सव में मक्खन-मट्ठा की होली खेलने के साथ ही प्रकृति की पूजा की गई। खास तरह के इस उत्सव में पहुंचे पर्यटकों ने स्थानीय ग्रामीणों संग मखमली बुग्याल में मक्खन की होली खेली तथा इन लम्हों को सदा के लिए यादगार बनाया। ।
जिला मुख्यालय से 42 किलोमीटर की सड़क दूरी तथा भटवाड़ी ब्लाक के रैथल गांव से दस किलोमीटर पैदल दूरी पर स्थित 28 वर्ग किलोमीटर में फैले दयारा बुग्याल में सदियों से अंढूड़ी उत्सव मनाया जाता आ रहा है। इस उत्सव में दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं तथा यहां मखमली घास पर मक्खन तथा मट्ठा की होली खेलते हैं। शुक्रवार को भाद्रपदक की संक्रात पर आयोजित इस उत्सव को देखने के लिए उत्तरकाशी,देहरादून सहित विभिन्न स्थानों से पर्यटक पहुंचे। साथ ही रैथल, नटीण, भटवाड़ी, क्यार्क और बंद्राणी से भी ग्रामीण दयारा बुग्याल पहुंचे और 28 वर्ग किलोमीटर में फैले बुग्याल का लुफ्त उठाया।
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प्रकृति की पूजा के लिए होता है आयोजन
मक्खन की होली खेलने के चलते अंढूड़ी उत्सव को बटर फेस्टिवल के रूप में भी जाना जाता है। गर्मी के मौसम में क्षेत्र के ग्रामीण अपने मवेशियों के साथ बुग्याली क्षेत्रों में चले जाते हैं और अब इस मेले को मनाने के बाद वापस अपने गांव को लौट जाते हैं, लेकिन लौटने से पहले प्रकृति का शुक्रिया अदा करने के लिए मेले का आयोजन करते हैं, जिसमें प्रकृति की पूजा-अर्चना की जाती है।
इस अवसर पर स्थानीय ग्रामीणों और वन गुर्जरों ने दूध, मक्खन, मट्ठा एकत्र किया। दूध की खीर तैयार की गई, जबकि मक्खन और मट्ठा की होली खेली गई। इस अवसर स्थानीय महिलाओं और पुरुषों ने ढ़ोल दमाऊ की थाप पर रांसो तांदी लोक नृत्य किया।