आज पितृ अमावस्या पर लगेगा सूर्य ग्रहण
साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण पितृ अमावस्या के दिन लगेगा, जो पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। पितृ अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है और श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण उत्सव, दान आदि किया जाता है। उनकी आत्मा को शांत करने के लिए इस दिन सूर्य ग्रहण होने से दान का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन लोगों को बढ़ चढ़कर दान करने की सलाह दी जाती है।
साल 2024 का आखिरी सूर्य ग्रहण पितृ अमावस्या के दिन लगेगा, जो पितृपक्ष का आखिरी दिन होता है। पितृ अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है और श्राद्ध, तर्पण, ब्राह्मण उत्सव, दान आदि किया जाता है। उनकी आत्मा को शांत करने के लिए इस दिन सूर्य ग्रहण होने से दान का महत्व और भी बढ़ जाता है। इसलिए इस दिन लोगों को बढ़ चढ़कर दान करने की सलाह दी जाती है।
सूर्य ग्रहण और अमावस्या का संबंध
सूर्य ग्रहण केवल अमावस्या के दौरान देखा जाता है। यानी जब चंद्रमा और सूर्य, पृथ्वी के एक ही तरफ होते हैं। एक अमावस्या लगभग 29.5 दिनों में पूरी होती है क्योंकि चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने में इतना ही समय लगता है। लेकिन हर अमावस्या को ग्रहण नहीं होता है। साल में न्यूनतम दो या अधिकतम 5 बार ही सूर्य ग्रहण लगता है।
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण?
सूर्य ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र और खगोल शास्त्र दोनों के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो चांद के पीछे सूरज का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस दौरान आकाश में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
सूर्य ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र और खगोल शास्त्र दोनों के नजरिए से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। खगोल विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है, तो चांद के पीछे सूरज का बिंब कुछ समय के लिए ढक जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहते हैं। इस दौरान आकाश में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है।
कहां-कहां नजर आएगा सूर्य ग्रहण?
साल 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। ये ग्रहण दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों और आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू, फिजी, चिली, पेरू, होनोलूलू, ब्यूनो आयर्स, अंटार्कटिका और दक्षिण अमेरिका और प्रशांत महासागर के कुछ इलाकों से नजर आएगा।
साल 2024 का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। ये ग्रहण दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों और आर्कटिक, अर्जेंटीना, ब्राजील, पेरू, फिजी, चिली, पेरू, होनोलूलू, ब्यूनो आयर्स, अंटार्कटिका और दक्षिण अमेरिका और प्रशांत महासागर के कुछ इलाकों से नजर आएगा।