चमोली,अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को लेकर भारत ही नहीं पूरी दुनिया में आकर्षण बना हुआ है। ऐसे में चमोली भी राम कथा से जुड़ने के कारण चर्चा में है।
राम कथा से जुड़ी नृत्य नाटिका रम्माण चमोली के सलू़ड़ डुंग्रा गांव में लंबे समय से हो रही है। इसे यूनेस्को ने भी विश्व धरोहर में शामिल किया है । भगवान राम की लीलाओं के कारण पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस गांव सहित पूरे चमोली जिले में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा समारोह और चमोली जिले के रिश्ते को लेकर उत्साह बना है। रम्माण को विश्व धरोहर तक की यात्रा में शामिल करने वाले सलूड डुंग्रा में रहने वाले और शिक्षक डॉ कुशल भंडारी कहते हैं राम कथा से जुड़ी रम्माण और अयोध्या में भगवान राम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा का उत्साह का रिश्ता है।
भगवान राम से जोड़ने वाला जनपद में स्थित द्रोणागिरी गांव भी है। राम कथा के अनुसार युद्ध में रावण पुत्र मेघनाथ के तीर से जब लक्ष्मण जी को मूर्छा लगी थी तब उनके प्राण बचाने के लिए हनुमान जी जिस संजीवनी बूटी को लेकर युद्ध भूमि में पहुंचे वह संजीवनी बूटी वाला द्रोणागिरी पर्वत चमोली के द्रोणागिरी गांव में हैै। हनुमान द्रोणागिरी पर्वत से पहाड़ का जो टुकड़ा ले गये थे। आज भी यहां पर्वत का टूटा हिस्सा साफ नजर आता है। बताते हैं कि हनुमान संजीवनी बूटी को लेने के लिए द्रोणागिरी गांव पहुंचे थे, उन्होंने ग्रामीणों से संजीवनी बूटी के बारे में जानकारी मांगी थी। जिसके बाद हनुमान द्रोणागिरी पर्वत पर गए और पर्वत को ही उठाकर ले गए। गांव के ग्रामीण इस पर्वत की नित्य पूजा अर्चना करते थे। उत्तराखंड की संस्कृति के जानकार संजय चौहान बताते हैं कि द्रोणागिरी पर्वत, राम कथा और चमोली जिले का रिश्ता है