चमोली। ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण से होते हुए कुमाऊं के कई हिस्सों से आगे बहती रामगंगा को भी भगवान श्रीराम की देन माना जाता है। स्थानीय स्तर पर मान्यता है कि यहां भगवान श्रीराम ने धरती में तीर छोड़कर पानी की धार निकाली। जिसे रामनाली के नाम से जाना जाता है। जो आगे चलकर रामगंगा बनती है। रामगंगा का जन्म स्थल भी इसी रामनाली को माना जाता है।
सामाजिक सरोकारों से जुड़े और श्रीनंदा देवी राजजात समिति के महामंत्री भुवन नौटियाल बताते हैं कि गैरसैंण के कालीमाटी जो कि दूधातोली पर्वत श्रृंखलाओं की तलहटी में है। यहां भगवान श्रीराम का पौराणिक छोटा मंदिर है। जहां भगवान श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण, सीता, हनुमान, शिव सहित अन्य देवताओं की मृर्तियां है। भुवन नौटियाल, क्षेत्र के राज्य आंदोलनकारी महेश जुयाल बताते हैं कि वन भ्रमण के दौरान जब माता सीता को प्यास लगी तो कहीं भी पानी के स्रोत नहीं दिखे। तब भगवान श्रीराम ने यहां धरती में तीर मार कर पानी की धार फूट पड़ी। जिससे रामनाली कहा जाता है। मान्यता है कि रामगंगा का जन्मस्थान यहीं है। आगे चलकर इसमें दूधातोली से निकलने वाले कई गदेरे मिलते हैं। मंदिर के पुजारी अवतार सिंह के अनुसार इस मंदिर में पौराणिक मृर्तियां हैं। जहां उनके पूर्वज और वो रामनवमी, हनुमान जयंती सहित अन्य पर्वों पर खास पूजाएं