जोशीमठ भू धंसाव मामले में सरकार दो हफ्ते की मोहलत
जोशीमठ । जोशीमठ भू धंसाव मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को हाईकोर्ट ने उत्तराखंड राज्य सरकार के अनुरोध पर उसे दो सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया है। इस अवधि में सरकार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) की रिपोर्ट पर अपना अंतिम निर्णय लेकर खंडपीठ को अवगत कराना होगा। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने की।
चिपको आंदोलन एवं उत्तराखंड राज्य आंदोलन से जुड़े रहे उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने जनहित याचिका इस आशय से दायर की थी कि 7 फरवरी 2021 को भी एक बार ग्लेशियर फटा था। कुछ महीनों बाद जब जोशीमठ में भीषण भू-धंसाव होने लगा, उसके बाद इस जनहित याचिका में यह आवेदन किया गया कि नेशनल थर्मल पॉवर कॉरपोरेशन (एनटीपीसी) द्वारा जोशीमठ में चलाए जा रहे विष्णुगाड़ तपोवन जल विद्युत परियोजना को रोका जाए। एडीएम जोशीमठ ने 5 जनवरी 2023 को जोशीमठ में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई थी। इसके बाद इसी जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 12 जनवरी 2023 को जोशीमठ में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाई थी, जो अब तक लागू है। राज्य सरकार ने केवल कुछ घंटों के नोटिस पर याचिकाकर्ता को इस विषय पर बैठक के लिए आमंत्रित किया था। इस बार कोर्ट ने पुन: राज्य सरकार को आदेशित किया है कि वह याचिकाकर्ता और एनटीपीसी दोनों पक्षों को सुनवाई का पर्याप्त अवसर दें। साथ ही एनडीएमए की उस रिपोर्ट पर एक निर्णय लें, जिसमें यह तय किया जाना है कि विष्णुगाड़ तपोवन जल विद्युत परियोजना को अपनी गतिविधियां संचालित करने के लिए मंजूरी दी जाए अथवा नहीं? गौरतलब है कि एनटीपीसी लगातार इस परियोजना को पुन: प्रारंभ करने की बात कर रहा है और वहां पर ब्लास्टिंग गतिविधियों के लिए भी अनुमति चाह रहा है।