प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि प्रदेश भर में महिला चिकित्सकों के 117 पद खाली है।
वर्तमान में मात्र 55 डॉक्टर ही कार्यरत हैं। पर्वतीय क्षेत्रों के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) महिला डॉक्टरों की स्थिति और भी चिंताजनक है। स्वास्थ्य विभाग में महिला चिकित्सकों के 172 पद स्वीकृत हैं। इसके सापेक्ष 117 पद खाली है। प्रदेश में सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में महिला डॉक्टरों की कमी से प्रसव हाई रिस्क मामलों में गर्भवती को रेफर करना पड़ता है।