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चुनाव से डरी कांग्रेस आरक्षण पर फैला रही भ्रम: विनोद चमोली

 

चुनाव से डरी कांग्रेस आरक्षण पर फैला रही भ्रम: विनोद चमोली

देहरादून,
राज्य के निकायों के अनंतिम आरक्षण पर उठाए जा रहे सवालों को भाजपा ने खारिज करते हुए विधिसम्मत करार दिया है।  पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेस में धर्मपुर विधायक विनोद चमोली ने निकाय आरक्षण पर कांग्रेस के आरोपों को जानकारी का अभाव और चुनाव को लेकर डर बताया है।
चमोली ने कहा कि सभी वर्गों को पूर्वनिर्धारित नीति के तहत अधिकार दिया गया है। मालूम हो कि चमोली निकाय ओबीसी आरक्षण विधेयक के लिए गठित प्रवर समिति के सदस्य भी हैं। उन्होंने कहा कि कल तक चुनाव में देरी का होने का राग अलापने वाली कांग्रेस अब हार सामने देखकर चुनाव टालने के लिए बहाने तलाश रही है। कहा कि, प्रत्येक संस्था के लिए आरक्षण निर्धारित होता है। कोई भी सरकार न इसे स्वयं घटा सकती है और न ही बढ़ा सकती है। नगर निगमों में एससी वर्ग को 9 फीसदी आरक्षण है और इसी तरह से 14 फीसदी नगर पालिका और 13 फीसदी नगर पंचायत में निश्चित है। उसके आधार पर ही सरकार ने आरक्षण निर्धारित किया है। चमोली ने कहा कि राज्य में निगमों की संख्या कम होने की वजह से मेयर सीटों पर एसटी समाज को आरक्षण देना संभव नहीं है। ऐसा पहले से होता आया है।
सुप्रीम कोर्ट की संस्तुति से बने ओबीसी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर ही ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व दिया गया है। जिसके तहत नगर निगम में 18 फीसदी, नगरपालिका में 27.9 फीसदी और नगर पंचायत में 34.8 फीसदी सीटें पिछड़े समाज को दी गई हैं। वहीं डेमोग्राफी के आधार पर ही नगरपालिका और नगर पंचायत अध्यक्ष में एसटी वर्ग को एक-एक सीट दी गई हैं। महिलाओं का 33 प्रतिशत आरक्षण भी रखा गया है।
चमोली ने कहा कि राज्य में हुए डेमोग्राफी बदलाव को देखते हुए निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर विधानसभा में कुछ प्रश्न उठे थे। उसके बाद बाद ही प्रवर समिति बनाई गई थी। प्रवर समिति ने अपनी तीन बैठकों में गहन विचार विमर्श के बाद 2011 की जनगणना के आधार पर ओबीसी आरक्षण को स्वीकृति प्रदान की। उसके बाद सरकार ने पूरी संवैधानिक प्रक्रिया के तहत आरक्षण तय किया।
चमोली ने कहा कि कुछ समय पहले तक कांग्रेस आरोप लगाती थी कि भाजपा चुनाव को पीछे कर रही है। अब तमाम आशंकाएं, भ्रम और अफवाह भरे सवाल निकाय चुनाव प्रक्रिया पर उठा रहे हैं। कांग्रेस नेताओं को सलाह देते हुए कहा कि संवेदनशील और गंभीर मसलों कर कुछ भी कहने से पहले उन्हें विषय का अध्ययन और जानकारी को अपडेट करना चाहिए।

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