वसुधैव कुटुम्बकम् की परिकल्पना महाकुंभ में साकार हो जाती हैः श्रीमहंत नारासण गिरि महाराज
प्रयागराज महाकुंभ में लगेगी आपसी प्रेम, सौहार्द व सदभाव के संगम की डूबकी लगात
प्रयागराज
श्री दूधेश्वर पीठााीश्वर व जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज का कहना है कि महाकुंभ मेले का सनातन धर्म में बहुत महत्व है। यह मेला महज एक धार्मिक आयोजन ही नहीं है बल्कि यह तो ऐसी आध्यात्मिक यात्रा है, जो हमें मानव अस्तित्व के सार से रूबरू कराती है और आध्यात्मिक चेतना को जागृत करती है। वसुधैव कुटुम्बकम् की परिकल्पना महाकुंभ में उस समय धरातल पर उतर आती है, जब सभी हिंदू जाति के लोग भेदभाव को मिटाकर आपसी प्रेम, सौहार्द व सदभाव के संगम में डूबकी लगाते हैं और समस्त हिंदू समाज एकसूत्र में बंध जाता है। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि महाकुंभ संतों, भक्तों व श्रद्धालुओं का संगम तथा आत्मा और परमात्मा के मिलन का प्रतीक है, जो समाज में शांतिए सद्भाव और धर्म की स्थापना करता है। प्रयागराज में हो रहा महाकुंभ भारतीय संस्कृति, योग व सनातन परंपरा का वैश्विक स्तर पर प्रचार.प्रसार करने का महत्वपूर्ण मंच बनेगा, ऐसा उनका मानना है। महाराजश्री ने कहा कि इस बार के पवित्र महाकुंभ में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाएगा। इस निमंत्रण का उद्देश्य भारत और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करना व वैश्विक शांतिए सहयोग और सांस्कृतिक एकता का संदेश देना है। डोनाल्ड ट्रंप जैसे वैश्विक नेताओं की उपस्थिति से महाकुंभ का गौरव तो बढेगा ही साथ यह यह भारतीय आध्यात्मिकता और सनातन परंपराओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक पहचान दिलाएगा। महाराजश्री ने कहा कि प्रयागराज का महाकुंभ उस त्रिवेणी संगम पर हो रहा है, जहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियां मिलती हैं। इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है और यहां स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। प्रयागराज महाकुंभ में लाखों साधु-संत, योगी व श्रद्धालु भाग लेंगे। महाकुंभ में पवित्र स्नान, मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा और माघ अमावस्या जैसे प्रमुख स्नान पर्वों का विशेष महत्व है। संगम में स्नान करने से आत्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महाकुंभ में लाखों लोग अपने पापों का प्रायश्चित कर आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं। महाकुंभ में स्नान करने से आत्मिक बल मिलता है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। महाकुंभ धर्म की जड़ों को गहरा करता है और समाज में नैतिकता और आदर्शों का प्रचार करता है। महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों, मठों और सम्प्रदायों के संतों का संगम होता है तो हिंदू धर्म की विविधता में एकता के दर्शन भी हो जाते हैं।
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