देहरादून,
पुलिस ने बताया कि महिला प्रोफेसर को जनवरी 2025 में एक कॉल आई थी। कॉल करने वाले ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया और अपना कार्ड दिखाया। प्रोफेसर को बताया गया कि उनके आधार कार्ड का संदिग्ध गतिविधियों में इस्तेमाल हुआ है। इससे कई सिम कार्ड खरीदे गए हैं। इनका भी कई गलत कामों में इस्तेमाल हो रहा है। यह सब सुनकर प्रोफेसर ने इसे धोखाधड़ी मानते हुए फोन काट दिया। लेकिन, उन्हें बार-बार फोन किया गया। एक महिला ने वीडियो कॉल किया और प्रोफेसर का आधार कार्ड व उनके नाम का एक नोटिस भी दिखाया। यह सब देखकर प्रोफेसर घबरा गईं। महिला ने उन्हें बताया कि उनका नाम एक बड़े घोटाले से भी जुड़ रहा है। प्रोफेसर ने पुलिस को बताया कि उन्हें डिजिटल गिरफ्तार किया गया। लगातार तीन महीने तक उन्हें वीडियो कॉल की गई और तमाम तरह की पूछताछ की गई। इसके बाद उनसे कुछ रकम मांगी गई। कुल सात किस्तों में उनसे 18.11 लाख रुपये जमा कराए गए। प्रोफेसर से यह भी कहा गया कि यह रकम उन्हें केस खत्म होने के बाद वापस मिल जाएगी। इसके बाद जब उन्होंने कुछ दिन बाद फोन किया तो किसी से संपर्क नहीं हो पाया। एसएचओ ने बताया कि इस मामले में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कर लिया गया है