देशभक्ति

कारगिल अमर बलिदानियो के पैतृक गांव जाकर परिजनों को किया सम्मानित

 

***वतन पे जो फ़िदा होगा, अमर वो नौजवां होगा
रहेगी जब तलक दुनिया, यह अफ़साना बयां होगा।***

*आगामी कारगिल विजय दिवस के उपलक्ष में भारतीय सेना ने कारगिल अमर बलिदानियो के पैतृक गांव जाकर परिजनों को किया सम्मानित
*
सतपुली,
भारतीय सेना द्वारा ‘घर-घर शौर्य सम्मान महोत्सव’ के अंतर्गत करगिल युद्ध के वीर शहीदों के परिजनों को उनके घर जाकर सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम न केवल शहीदों के प्रति सम्मान का प्रतीक है, बल्कि राष्ट्र के प्रति उनके अमूल्य बलिदान को जनमानस के हृदय में फिर से जीवित करने का एक प्रेरणादायक प्रयास भी है।

इस अभियान के दौरान सेना के नायब सूबेदार सुधीर चंद्र और उनकी टीम के द्वारा अदम्य सैन्य अनुशासन का परिचय देते हुए स्मृति चिन्ह और सम्मान पत्र लेकर शहीदों के घर पहुंचे। हर द्वार पर जब सेना की वर्दी दिखाई दी, तो वातावरण में एक भावुक श्रद्धा की लहर दौड़ गई। परिजन जहां भाव-विह्वल थे, वहीं आस-पड़ोस के लोग भी गर्व और सम्मान से सराबोर दिखे।

अमर शहीद * गैलंट्री अवॉर्ड राइफलमैन डबल सिंह सेना मेडल* की धर्मपत्नी *श्रीमती राजी देवी जी* ने सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह ग्रहण करते हुए कहा, “आज जैसे मेरे पति फिर से घर लौट आये है। जिस वर्दी को मैंने अंतिम बार देखा था, वह आज मेरे आंगन में खड़ी है, ये सम्मान हमारे ज़ख्मों पर मरहम है।” यह शब्द न केवल उनकी पीड़ा को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि सेना का यह कदम परिजनों के लिए कितनी बड़ी भावनात्मक संबल है।

इस अवसर पर स्थानीय नागरिकों, स्कूली छात्रों, पूर्व सैनिकों और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति ने माहौल को और अधिक गरिमा प्रदान की। भारतीय सेना के नायब सूबेदार सुधीर चंद्र और उनके अन्य साथियों ने बच्चों को करगिल युद्ध की कहानियाँ सुनाईं, जिससे युवा पीढ़ी को प्रेरणा मिली। और यह भी बताया कि यह महोत्सव केवल एक सम्मान कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक संदेश है — “राष्ट्र अपने वीरों को कभी नहीं भूलता।” उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य है कि हर नागरिक शहीदों के परिवारों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करे और उन्हें यह महसूस कराए कि उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया।

यह अभियान न केवल परिजनों के लिए गौरव का क्षण था, बल्कि पूरे समाज के लिए एक उदाहरण है कि वीरता का सम्मान केवल स्मारकों में नहीं, बल्कि दिलों में होना चाहिए।

‘घर-घर शौर्य सम्मान अभियान’ के माध्यम से भारतीय सेना ने यह सिद्ध कर दिया कि वह न केवल सीमाओं की रक्षक है, बल्कि उन परिवारों की भी संरक्षक है, जिन्होंने अपने पति, पुत्र और बेटे को मातृभूमि के चरणों में अर्पित कर दिया। और अंत में सभी ने वीर जवानों की जय और भारत माता की जयकारा के साथ कार्य का समापन किया गया धन्यवाद जय भारत जय उत्तराखंड

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