देहरादून!
व्यक्ति को अहंकार नहीं करना चाहिए, अहंकार बुद्धि और ज्ञान का हरण कर लेता है। अहंकार ही मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। चुखुवाला स्थित प्राचीन शिव मंदिर पर चल रही सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा आयोजन के चौथे दिवस पर आचार्य पंडित जगदीश चंद्र भट्ट ने यह बात कही। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का प्रसंग सुनाया। श्रीकृष्ण की जन्म कथा का प्रसंग सुनकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।
कथा व्यास आचार्य जगदीश चंद्र भट्ट ने बताया कि जब अत्याचारी कंस के पापों से धरती डोलने लगी, तो भगवान कृष्ण को अवतरित होना पड़ा। सात संतानों के बाद जब देवकी गर्भवती हुई, तो उसे अपनी इस संतान की मृत्यु का भय सता रहा था। भगवान की लीला वे स्वयं ही समझ सकते हैं। भगवान कृष्ण के जन्म लेते ही जेल के सभी बंधन टूट गए और भगवान श्रीकृष्ण गोकुल पहुंच गए। शास्त्री ने कहा कि जब-जब धरती पर धर्म की हानि होती है, तब-तब भगवान धरती पर अवतरित होते हैं। जैसे ही कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ पूरा पंडाल जयकारों से गूंजने लगा।
श्रीकृष्ण जन्म उत्सव पर नन्द के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की भजन प्रस्तुत किया तो श्रद्धालु भक्ति में लीन होकर जमकर झूमे। एक-दूसरे को श्रीकृष्ण जन्म की बधाईयां दी गई, एक-दूसरे को मिठाईयां बाटी गई।
इस दौरान आचार्य द्वारिका प्रशाद भट्ट, देवानंद सेमवाल, भक्ति राम भट्ट, ज्योति प्रशाद भट्ट, मनीष लेखवार समेत अनिल डोभाल, सुनील डोभाल, संजना, रीना, आदित्य डोभाल, अपूर्वा, रमा चरण खंदूरी, रेखा खंदूरी, पूजा, नीलम, शंकर डोभाल आदि शामिल रहे,
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